शीतकाल में ‘नारद जी’ करेंगे श्रीहरि की आराधना
भू-बैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट विधिविधान के साथ हुए बंद

Badarinath Temple Doors Closed: विश्व विख्यात हिंदू तीर्थ बदरीनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शीतकाल के लिए आज बंद हो गए हैं। मान्यता है कि शीतकाल में ‘नारदजी’ भगवान श्रीहरि विष्णु की करते हैं। कपाट बंदी को लेकर मंदिर को फूलों से भव्यता के साथ सजाया गया था। इसवर्ष धाम के करीब साढ़े 17 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शनों का पुण्य अर्जित किया। जो कि अब तक का एक वर्ष में सर्वाधिक रिकॉर्ड है।
विजयदशमी के दिन पंचाग गणना के बाद तय मुहूर्त के अनुसार आज देश और उत्तराखंड के चारों धामों में एक हिमालीय तीर्थ बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए तय समय अपराह्न 3.30 बजे बंद कर दिए गए। इससे पहले पिछले पांच दिनों से कपाट बंदी की प्रक्रिया आज मंदिर के द्वार बंद होने के साथ ही पूरी हुई। कपाट बंदी के दौरान हजारों श्रद्धालु वैदिक परंपरा के साक्षी बने।
कपाटबंदी के बाद भगवान बदरीनाथ के विग्रह स्वरूप उद्धव जी की उत्सव डोली और आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी पांडूकेवश्वर स्थित योगध्यान बदरी के लिए रवाना हुई। आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी कल पांडूकेश्वर से जोशीमठ के लिए प्रस्थान करेगी। इससे पूर्व मंदिर के मुख्य अराधक रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने कपाटबंदी की परंपराओं का विधि विधान से निर्वह्न किया। कपाट बंदी से पूर्व भगवान श्रीहरि की प्रतिमा को परंपरानुसार माणा गांव की महिलाओं द्वारा तैयार कंबल को घृत के साथ ओढ़ाया गया।
शीतकाल में कपाट बंद होने के दिन के लिए मंदिर परिसर और सिंहद्वार को 15 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया था। इससे पूर्व 16 नवंबर से कपाटबंदी की प्रक्रिया गणेश मंदिर, आदि केदारेश्वर मंदिर, खडगपुस्तक को बंद करने के साथ शुरू हुई थी।
इसवर्ष उत्तराखंड के चारों धाम गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के साथ ही बदरीनाथ में भी रिकॉर्ड श्रद्धालु पहुंचे। बदरीनाथ में अब तक के सारे रिकॉर्ड टूट गए। इसवर्ष साढ़े 17 लाख श्रद्धालुओं ने श्रीहरि के दर्शन किए।