देहरादून

Dehradun: 1971 का युद्ध भारतीय इतिहास का स्वर्णिम अध्यायः सीएम

- शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं व वीर माताओं के लिए रोडवेज में फ्री यात्रा की घोषणा

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विजय दिवस पर गांधी पार्क स्थित शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। कहा कि भारतीय सैनिकों ने 1971 के युद्ध में न केवल राष्ट्र की अखंडता और स्वाभिमान की रक्षा की बल्कि अपने अद्वितीय रण कौशल द्वारा दुश्मन को चारों खाने चित्त किया।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य के शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं और वीर माताओं को भी उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने 1971 युद्ध के वीर सैनिकों और उनके परिजनों को भी सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 1971 में पाकिस्तान के साथ लड़ा गया यह युद्ध स्वतंत्र भारत के इतिहास का एक ऐसा स्वर्णिम अध्याय है, जो प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव और प्रेरणा का स्रोत है। 1971 के युद्ध में हमारी सेना ने विश्व को दिखा दिया कि भारत न केवल अपनी संप्रभुता की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि जरूरत पड़ने पर मानवता और न्याय की रक्षा के लिए भी खड़ा हो सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार ने जहां एक ओर सैनिकों या उनके आश्रितों को मिलने वाली अनुदान राशि को बढ़ाने का काम किया है वहीं शहीद सैनिकों के आश्रितों को राज्य सरकार के अधीन आने वाली नौकरियों में वरीयता के आधार पर नियुक्ति देने का भी निर्णय लिया है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार ने वीरता पदक से सम्मानित सैनिकों को मिलने वाली एकमुश्त अनुदान राशि में भी बढ़ोतरी की है। अनुदान राशि को लेकर परिवार में कोई मतभेद ना हो, इसके लिए राज्य सरकार ने शहीदों के माता-पिता और पत्नी दोनों को समान रूप से अनुदान राशि में अधिकार देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि वो खुद एक सैनिक पुत्र हैं, इसलिए आज प्रधानमंत्री के नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र में आ रहे सकारात्मक बदलाव को देखकर उन्हें भी अत्यंत हर्ष का अनुभव होता है।

इस दौरान सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, विधायक खजान दास, दर्जाधारी विश्वास डाबर, सचिव दीपेंद्र चौधरी, जिलाधिकारी सविन बंसंल, एसएसपी अजय सिंह, निदेशक सैनिक कल्याण ब्रिगेडियर अमृत लाल (से.नि), मेजर जनरल सम्मी सबरवाल (से.नि), ब्रिगेडियर के.जी बहल (से.नि) आदि मौजूद रहे।

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