देहरादून

दून की सड़कों पर दिखा राज्य आंदोलन जैसा नजारा

मूल निवास, भू-कानून की मांग को लेकर महारैली में जुटी हजारां की भीड़

देहरादून। उत्तराखंड में मूल निवास और भू-कानून को लेकर आज सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के हजारों लोग सड़कों पर उतरे। परेड ग्राउंड से शुरू मूल निवास स्वाभिमान महारैली शहीद स्मारक पर शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई। दून की सड़कों पर जुटी भीड़ से एकबार फिर से उत्तराखंड राज्य आंदोलन की यादें ताजा हो गई।

रविवार को सुबह नौ बजे से ही परेड ग्राउंड पर राज्य के कई हिस्सों से आए लोगों की भीड़ जुटने लगी थी। सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर परेड ग्राउंड से लेकर रैली के रास्ते और शहीद स्मारक में भारी फोर्स तैनात रही। रैली के दौरान लोग हाथों में मूल निवास 1950 और भू काननू लिखी तख्तियां, बैनर और झंडों को लेकर नारे लगाते हुए तय रूट से कचहरी स्थित शहीद स्मारक पहुंचे। रैली में महिलाएं, बुजुर्ग, युवा समेत हर वर्ग के लोग शामिल हुए।

रैली शहीद स्मारक में जनसभा में तब्दील हुई। जहां जनगीतों के साथ ही राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र के लोगों ने अपनी बात रखी और इस आंदोलन को आगे ले जाने की बात दोहराई। दून ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौर के बाद ऐसा माहौल देखा, जब युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक के चेहरे पर 23 वर्षों की उपेक्षा और आक्रोश साफ दिखा। शहीद स्मारक पर रैली में जुटे लोगों ने जयंती दिवस पर पर्वतीय गांधी स्व. इंद्रमणि बडोनी को भी नमन किया।

बता दें, कि मूल निवास और भू-कानून को लेकर 24 दिसंबर को महारैली के आह्वान के बाद लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी समेत यूकेडी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, उत्तराखंड राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संगठनों और कई संस्कृतिकमियों ने इसे अपना समथर्न दिया। साथ ही तमाम समर्थक संगठन और युवा व अन्य लोग अपने संसाधनों से देहरादून पहुंचे।

महारैली में उठी यह मांगे
– उत्तराखंड में मूल निवास लागू कर इसकी कट ऑफ डेट 26 जनवरी 1950 घोषित की जाए।
– हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सशक्त भू कानून लागू किया जाए।
– शहरी क्षेत्र में 250 मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू हो।
– ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगे।
– गैर काश्तकार की ओर से कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगे।
– पर्वतीय क्षेत्र में गैर पर्वतीय मूल के निवासियों के भूमि खरीदने पर तत्काल रोक लगे।
– प्रदेश सरकार राज्य गठन के बाद की विभिन्न संस्थानों, कंपनियों, व्यक्तियों आदि को दान या लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक करे।
– पर्वतीय क्षेत्र में लगने वाले उद्यमों, परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण या खरीदने की अनिवार्यता है या भविष्य में होगी, उन सभी में स्थानीय निवासी का 25 प्रतिशत और जिले के मूल निवासी का 26 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित किया जाए।
– ऐसे सभी उद्यमों में 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय व्यक्ति को दिया जाना सुनिश्चित किया जाए।



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