अब किसके हाथों में होगी BKTC की कमान ?
देवस्थानम एक्ट निरस्त होने के बाद श्री बदरीनाथ मंदिर अधिनियम 1939 पुनर्जीवित
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उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम रद्द होने के बाद श्री बदरीनाथ मंदिर अधिनियम 1939 फिर से पुनर्जीवित हो गया है। जिसके बाद माना जा रहा है कि बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) भी जल्द अस्तित्व में आ जाएगी। हालांकि बीकेटीसी का स्वरूप पूर्ववत होगा अथवा नहीं फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हुआ है।
बता दें कि वर्ष 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में देवस्थानम एक्ट को लागू किया गया था। जिसके पहले दिन से ही चारोंधामों से जुड़े तीर्थ पुरोहित, पंडा समाज और हकहकूकधारियों ने विरोध शुरू कर दिया था। करीब सवा साल के अंतराल में विरोध के स्वर तीखे होते गए, इसबीच सीएम बने तीरथ सिंह रावत ने इस मसले पर पुनर्विचार की बात कही। मगर, चार महीने में उनके स्थान पर पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने, तब भी विरोध कम होने की बजाए और तेज हुआ। यहां तक कि यात्रा शुरू होने के दौरान खासकर केदारनाथ और बदरीनाथ में विरोध की आग बेहद भड़की।
मामला यहीं नहीं थमा, बीते महीने चारों धामों के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने के बाद विरोध आंदोलन देहरादून की जमीन पर उग्र हुआ। अंततः धामी सरकार को इस अधिनियम को वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी। कैंबिनेट के बाद विधानसभा में अधिनियम रद्द होने के बाद 15 दिसंबर को राज्यपाल ने इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया। 17 दिसंबर को देवस्थानम बोर्ड को निरस्त करने और श्री बदरीनाथ मंदिर अधिनियम 1939 के तहत पुनर्जीवित कर दिया गया।
हालांकि गजट नोटिफिकेशन में इस बात को भी स्पष्ट किया गया है कि देवस्थानम अधिनियम तहत लिए गए नियम, उपविधियां, अधिसूचना, जारी प्रमाण पत्र, पारित आदेश, लिए गए निर्णय और कार्यवाहियां यदि असंगत नहीं हों, या उन्हें संशोधित, निरसित, निलंबित नहीं किया जाए, तब तक वे प्रभावी रहेंगे।
श्री बदरीनाथ मंदिर अधिनियम 1939 के पुनर्जीवित होने के बाद इतना तो तय है कि BKTC भी पुनजीर्वित होगी, लेकिन अब इसका स्वरूप क्या होगा? समिति की कमान किसी आईएएस अथवा पीसीएस अधिकारी के हाथों में होगी, या कि समिति को पुराने स्वरूप में गठित किया जाएगा, फिलहाल इस विषय में कुछ साफ नहीं हुआ है।