उत्तराखंड (Uttarakhnad) की सियासत में कदावर नाम Harak Singh Rawat फिर से मीडिया की सुर्खियों में हैं। उनका एक और वीडियो इंटरनेट पर वायरल है। जिसमें उन्होंने 2022 में चुनाव लड़ने के प्रति अनिच्छा जताई है। इसके बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि आखिर हरक सिंह चुनाव लड़ने को क्यों तैयार नहीं? वह चुनावी राजनीति से क्यों उब गए ? क्यों कह रहे हैं कि ‘कई बार मन की नहीं होती’ ?
वीडियो में बकौल हरक सिंह “पहले भी कह चुका, इसबार चुनाव लड़ने का इच्छुक नहीं हूं। पार्टी के सभी नेताओं को भी बता चुका। मन नहीं चाहता कि चुनाव लड़ूं। यूपी से लेकर उत्तराखंड तक छह बार एमएलए रहा, कई बार मिनिस्टर बना। चुनाव लड़ा तो कहोगे हरक सिंह की धारी मां की कसम बेकार चली गई। कई बार मन से लड़ना पड़ता है। मन संकल्प लेता है। कई बार मन होता है, लेकिन कई बार मन की नहीं होती।”
बताते चलें कि हरक सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति में घाघ राजनेता माने जाते हैं। पूर्व में भी उन्होंने ‘चुनाव नहीं लड़ने को लेकर ‘धारी मां’ की कसम ली थी, और फिर चुनाव मैदान में भी उतर गए थे।
हाल में उन्होंने कोटद्वार सीट से खुद की जगह पुत्रबधु को चुनाव में उतारने की बात कही थी। तब माना गया कि शायद वह किसी अन्य सीट पर विचार कर रहे हैं। मगर, इस बयान ने उत्तराखंड के सियासी मिजाज को फिर से उलझा दिया है।
हाल में उनके ऐस ही कई और वीडियो भी सामने आए, जिनसे लगा कि वह पार्टी में असहज हैं और टकराव के रास्ते से अपने लिए कोई ‘खास’ जगह बनाना चाहते हैं। कांग्रेस के दौर में नेता प्रतिपक्ष रहने के दौरान से उनके इसी ‘मन’ में ‘मुख्यमंत्री’ बनने का सपना भी पलता रहा है।
खैर, उनकी राजनीतिक शैली और अंदाज को जानने वालों की मानें तो मौजूदा दौर में ऐसा कुछ है जो उनके ‘मन’ के अनुरूप नहीं और उन्हें अनुरूप होने की गुंजाइश भी कम लग रही है। आज वायरल वीडियो का ‘आखिरी सेंटेंस’ तो कमोबेश ऐसा ही दर्शा रहा है। लिहाजा, इनका जवाब अगर कोई दे सकता है तो वह हरक सिंह रावत ही हैं, और कोई नहीं।