Exclusive Report: अगस्त में आपदाओं के जख्मों से छलनी हुआ उत्तराखंड
एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की अगस्त 2023 की उत्तराखंड UDAS रिपोर्ट

• बोले- उत्तराखंड आपदा प्रबंधन तंत्र की कमज़ोर कड़ियों को मजबूत करने की सख्त ज़रूरत
देहरादून। उत्तराखंड के लिए बीता अगस्त माह आपदाओं और हादसों का महीना रहा। ज्यादातर हादसे भूस्खलन और भारी बारिश के कारण हुए। जिनमें जन-धन की व्यापक हानि हुई। पूरे महीने राज्य लगभग अस्त-व्यस्त स्थिति में रहा। यह बात एसडीसी फाउंडेशन की हर महीने जारी की जाने वाली ‘Uttarakhand UDAS’ रिपोर्ट में कही गई है।
देहरादून स्थित थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन हर महीने उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (UDAS) रिपोर्ट जारी करता है। इस क्रम में फाउंडेशन ने अगस्त 2023 की उदास रिपोर्ट के रूप में अब तक की 11वीं और इस वर्ष की 8वीं रिपोर्ट जारी की है।
फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने फिर दोहराया है कि इस रिपोर्ट का उद्देश्य उत्तराखंड राज्य में पूरे महीने आने वाली प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं को एक स्थान पर डॉक्यूमेंटेशन है। रिपोर्ट मुख्य रूप से विश्वसनीय हिन्दी और अंग्रेजी अखबारों और न्यूज पोर्टल्स में छपी खबरों पर आधारित है।
आपदाओं का अगस्त
3 अगस्त को रुद्रप्रयाग जिले में गौरीकुंड के पास पहाड़ी का मलबा सड़क किनारे की दुकानों पर गिर गया। एक ढाबा और दो दुकाने मलबे के साथ मंदाकिनी में समा गई। इस घटना में कम से कम 23 लोगों की मौत की आशंका है। एक दिन बाद ही टिहरी के मरोड़ा गांव में एक घर में मलबा घुस गया और 10 व 12 वर्ष के भाई-बहन की मौत हो गई।
8 अगस्त को रुद्रप्रयाग के गौरी गांव में झोपड़ी में रह रहे नेपाली परिवार के दो बच्चों की मलबे में दबकर मौत हो गई। दो दिन बाद फिर रुद्रप्रयाग जिले में एक कार पर पहाड़ी का मलबा गिर गया और 5 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई। 15 अगस्त को जोशीमठ के पास भवन गिरने से 2 मजदूरों की मौत हो गई और 5 घायल हो गये। 20 अगस्त को गंगोत्री हाईवे में बस खाई में गिरने से गुजरात के 7 तीर्थयात्रियों की मौत हुई और 28 घायल हुए। 21 अगस्त को टिहरी जिले के चंबा में टैक्सी स्टैंड पर हुए भूस्खलन में मलबे में दबकर 4 लोगों की मौत हो गई। अगले दिन एक और शव बरामद हुआ।
सड़कें टूटी, घरों में दरारें
भारी बारिश के बीच राज्य में अगस्त के महीने में जगह-जगह भूधंसाव, भूस्खलन, घरों में दरारें और सड़कें बह जाने या बंद हो जाने की खबरें आती रही। कई जगहों लोगों को रात में अपने घर छोड़ने पड़े। चार धाम मार्ग पूरे महीने बार-बार बंद होते रहे। सबसे ज्यादा प्रभावित बदरीनाथ मार्ग हुआ। 8 अगस्त को यह मार्ग तोताघाटी सहित 6 जगहों पर बंद हुआ। 17 अगस्त को मैठाणा और पुरसाड़ी के बीच सड़क 70 मीटर धंस गई। पीपलकोटी और पागलनाला बार-बार बंद हुए। केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मार्ग भी बार-बार बंद हुए।
इसके अलावा देहरादून जिले के खरमोली, लखवाड़, मालदेवता और जाखन, उत्तरकाशी में चिन्यालीसौड़, नैनीताल के काठगोदाम, पौड़ी के आमसौड़, कोटद्वार और यमकेश्वर के कई गांव, चमोली के पगनौ, मज्जू, लागा और बेमरू, सुनील आदि जगहों पर कहीं भूस्खलन हुआ तो कहीं घरों में दरारें आई। इन गांव में लोगों को रात के अंधेरे में अपने घर छोड़ने पड़े।
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 19 अगस्त तक राज्य में 78 लोगों की मृत्यु हुई और 1471 घर क्षतिग्रस्त हुए। 7737 पशुओं की भी मौत हुई। करीब एक हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया था। उत्तराखंड सरकार ने 15 शहरों में कैरिंग कैपेसिटी सर्वे करवाने का निर्णय लिया।
उत्तराखंड और आपदा प्रबंधन
अनूप नौटियाल ने कहा की उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन तंत्र की कमज़ोर कड़ियों को मजबूत करने की सख्त ज़रूरत है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड उदास मंथली रिपोर्ट उत्तराखंड के राजनीतिज्ञों, नीति निर्माताओं, अधिकारियों, शोधार्थियों, सिविल सोसायटी और मीडिया के लोगों के लिए सहायक होगी। साथ ही आपदाओं से होने वाले नुकसान के न्यूनीकरण के लिए नीतियां बनाते समय भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।