सियासत

पूर्व सीएम हरीश रावत ने मुख्यमंत्री धामी को लिखा E-Letter

देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड में मानसून के बदलते रुख और उससे हो रहे नुकसान को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को “ई लेटर” लिखा है। रावत ने इस पत्र में कई घटनाओं का जिक्र करते हुए कुछ सुझाव भी दिए हैं। जिसमें उन्होंने जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने और उसके आधार पर भविष्य की योजनाएं तैयार करने की सलाह शामिल है।

ई पत्र

दिनांक -10 अगस्त, 2023


आदरणीय मुख्यमंत्री जी,
राज्य में मानसून की ऋतु में पिछले कुछ वर्षों से आश्चर्यजनक परिवर्तन आया है जिस कारण निरंतर बादल फटने, अतिवृष्टि से अधिकतर पहाड़ी व मैदानी क्षेत्रों में जानमाल की हानि के साथ जलभराव की भी समस्या विकराल होती जा रही है। बारिश का मौसम अप्रत्याशित (Unpredictable) होता जा रहा है, कुछ स्थानों में बादल फटने और अतिवृष्टि की पुनरावृत्ति (Permanent Feature) हो रही है व कुछ नये क्षेत्रों भी गिरफ़्त में आये हैं। इस संबंध में भविष्य की रणनीति बनाने हेतु आपके ध्यानाकर्षण हेतु कुछ सुझाव प्रस्तुत हैं।

1- जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का क्षेत्रों वार अध्ययन मौसम वैज्ञानिकों की टीम से कराया जाय और केंद्र सरकार से भी इस पर सहयोग लिया जा सकता है ।

2- पिछले पचास वर्षों की बारिश का क्षेत्रों वार अध्ययन कर बारिश का औसत लेकर भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा बनाई जाए।

3- कुछ घटनाओं में जलभराव से निकासी व राहत में प्रशासनिक विफलताएँ भी सामने आयी हैं। स्थानीय अधिकारियों के Responce time में निर्णय में विलंब ने भी जनता को राहत देने में देरी की है। अतः सरकार को तुरंत राहत के Mechanism को बनाना चाहिए।

4- राज्य में काफ़ी नदियों, नालों व गधेरों ने अप्रत्याशित स्वभाव दिखाया है। जिस कारण काफ़ी जान-माल की हानि हुई है। नदी-नालों, गधेरों के अप्रत्याशित स्वभाव व Cachment aria का भी वैज्ञानिक अध्ययन करा लिया जाए।

5-राज्य में कई सड़कों व पुलों के टूटने की घटनाओं के लिए अवैध खनन को ज़िम्मेदार बताया जा रहा है। अतः अवैध खनन के साथ-साथ वैध खनन की आड़ में सड़कों व पुलों के आस-पास के क्षेत्रों को No Mining zone घोषित किया जाए।

6- जोशीमठ सहित लगभग चार सौ गाँव आपदा से सर्वाधिक प्रभावित हैं। वहाँ के लोग भयावह जीवन जीने को विवश हैं, उनके विस्थापन की कोई ठोष नीति बनायी जानी चाहिए।

7- 2014 में तत्कालीन सरकार ने ग्रामीण सड़कों व नाली आदि के व्यवस्था के लिए एक अलग विभाग बनाया था जिसे विघटित करा गया है, उसको पुनः पुनर्जीवित किया जाय।

8- ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों के सभी नाली, तालाब, नाले, जोहड़ आदि की बरसात से पूर्व प्रवाह क्षेत्रों की साफ़-सफ़ाई सुनिश्चित की जाय।

9- राज्य की सभी नदी-नालों की नियमित टेनिंग की जाय।

आशा है आप उपरोक्त सुझावों पर गंभीरता पूर्वक विचार कर आवश्यक कार्यवाही करेंगे।

सादर,
आपका हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री

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