‘मैती सम्मान’ से नवाजे जाएंगे पत्रकार ‘रजपाल बिष्ट’
5 जून को उर्गम में प्रस्तावित गौरा देवी पर्यावरण पर्यटन एवं विकास मेले में दिया जाएगा सम्मान

(संजय चौहान की रिपोर्ट): सीमांत जनपद चमोली के वरिष्ठ रजपाल बिष्ट को विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) को मैती सम्मान से नवाजा जाएगा। कल्प घाटी ऊर्गम में गौरा देवी पर्यावरण पर्यटन एवं विकास मेले में यह सम्मान प्रदान किया जाएगा। इस अवसर पर पेड वाले गुरुजी धन सिंह घरिया और लक्ष्मण सिंह नेगी सचिव जनदेश को भी मैती सम्मान दिया जाएगा। यह जानकारी मैती आंदोलन के प्रणेता पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने दी हे।
पत्रकारिता का संस्थान है रजपाल बिष्ट
रजपाल बिष्ट के पास पत्रकारिता का लंबा अनुभव है। चार दशको की पत्रकारिता का उनका चमकदार कैरियर हर पत्रकार के लिए प्रेरणास्रोत है। वे युवा पत्रकारों के लिए खुद एक संस्थान है। उन्होंने जनसरोकारो की पत्रकारिता को नया मुकाम दिया। पर्यावरण से लेकर संस्कृति, सामाजिक सरोकारों से लेकर सदूरवर्ती गांव की कोई खबर हो या फिर राजनैतिक गलियारों की खबर, हर जगह उनकी पैनी निगाहें होती हैं। शायद ही कोई ऐसा विषय हो जिस पर रजपाल बिष्ट नें अपनी कलम न चलाई हो। आज सैकड़ों लोग इनकी लेखनी के मुरीद हैं। मुझे आज भी गर्व है कि रजपाल बिष्ट जी से मुझे स्वयं पत्रकारिता की समझ और बारिकीयां सीखने का मौका मिला। हर विषय और क्षेत्र पर उनकी मजबूत पकड़ उन्हें दूसरों से अलग कतार में खड़ी करती है। पत्रकारिता में 4 दशक के लंबे अनुभव के धनी रजपाल बिष्ट जी नें पत्रकारिता की शुरुआत 1982 में स्थानीय उत्तरी ध्रुव,देव भूमि से की। इसके बाद नवभारत टाइम्स , जन सत्ता, अमर उजाला, दैनिक जागरण के माध्यम से जनसरोकारो की पत्रकारिता के मिशन को आगे बढ़ाया। हिमाचल से लेकर उत्तराखंड तक उन्होने अपनी बेजोड पत्रकारिता का लोहा मनवाया है। वर्तमान में रजपाल बिष्ट राष्ट्रीय सहारा चमोली के ब्यूरो चीफ हैं।
लेखों में पर्यावरण की चिंता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश
चार दशक की अपनी पत्रकारिता में रजपाल बिष्ट नें जल जंगल जमीन के लिए अनगिनत लेख लिखे। उनके लेखों में पर्यावरण की चिंता साफ देखी जा सकती है। उनके लेख लोगो को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने का संदेश देती है। उन्होने पर्यावरण, जल- जंगल से जुडे हर खबर को सदैव प्रमुखता दी। उन्होने पर्यावरण संरक्षण के प्रसिद्ध चिपको आंदोलन को अपने लेखो के जरिए नयी पहचान दिलाई।
पहाड़ के हितैषी
पहाड़ और रजपाल बिष्ट एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से पहाड़ की पीड़ा और आवाज को देश दुनिया तक पहुंचाया। सीमांत जनपद चमोली मे रहकर भी देश की राजधानी तक इनकी खबरें लोगों को पहाड़ के प्रति सोचने को मजबूर कर देती है। उत्तराखंड आंदोलन से लेकर शराब विरोधी आंदोलन सहित जनआंदोलनो को उनकी कलम ने हमेशा गति दी। उनकी लेखनी असाधारण है।