उपलब्धि: सिविल सेवा परीक्षा में उत्तराखंड की 4 बेटियां, 1 बेटा अव्वल

देहरादून। भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में उत्तराखंड की प्रतिभाओं ने अपना मुकाम हासिल कर राज्य का नाम रोशन किया है। इस परीक्षा में जहां चार बेटियों गरिम नरुला, कल्पना पांडे, मुद्रा गैरोला व कंचन डिमरी ने बेहतर रैंक हासिल कर खुद को साबित किया, वहीं रुद्रप्रयाग जनपद के मूल निवासी मुकुल जमलोकी ने फिर से अपना स्थाना बनाया है।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के मूल निवासी मुकुल जमलोकी ने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा 2022 में फिर स्थान बनाया है। इस बार आल इंडिया रैंकिंग में उनका स्थान 161 है। वर्तमान में मुकुल जमलोकी सीएजी कार्यालय में डिप्टी अकाउंटेंट जनरल के पद पर कार्यरत हैं।
मुकुल ने यूपीएससी परीक्षा के अब तक के सभी प्रयासों में सफलता अर्जित की है। वे पहले वर्ष 2017 में इंडियन इनफॉर्मेशन सर्विस के लिए चुने गए। फिर वर्ष 2018 में इंडियन पोस्टल सर्विस के लिए चयनित हुए। वर्ष 2020 में वे इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विस के लिए चयनित होने के बाद इस बार उन्हें भारतीय पुलिस सेवा अथवा भारतीय विदेश सेवा संवर्ग आवंटन की संभावना है लेकिन नई सेवा पर जाने के वे इच्छुक नहीं हैं।
मुकुल जमलोकी मूलतः रुद्रप्रयाग जिले की ऊखीमठ तहसील के रविग्राम (फाटा) के निवासी हैं। उनके पिता डॉ. ओम प्रकाश जमलोकी दूरदर्शन के देहरादून केंद्र में वीडियो एक्जीक्यूटिव के पद पर कार्यरत हैं, जबकि माता इंदु जमलोकी दिल्ली सरकार के स्कूल में अर्थशास्त्र की प्रवक्ता हैं। मुकुल की एक छोटी बहन दिल्ली सरकार के अस्पताल में चिकित्सक है। मुकुल ने देहरादून के ब्राइट लैंड स्कूल से पढ़ाई की है।
इसके अलावा रुद्रप्रयाग जिले के स्वीली गांव की कंचन डिमरी ने भी इस वर्ष यूपीएससी परीक्षा में 654वीं रैंक हासिल कर जिले का गौरव बढ़ाया है। कंचन के पिता देवीप्रसाद डिमरी दिल्ली में सेवारत हैं। चमोली जिले के बागड़ी गांव की मुद्रा गैरोला ने भी यूपीएससी में 165 वीं रैंक लाकर क्रैक किया है। वे पिछले वर्ष आईपीएस के लिए चयनित हुई थी।
जबकि ऊधमसिंह नगर जिले में रुद्रपुर की निवासी गरिमा नरूला ने पहले प्रयास में ही सिविल सेवा परीक्षा में देश में 39वां स्थान प्राप्त किया है। वहीं जनपद बागेश्वर के खडेरिया गांव निवासी कल्पना पांडे ने 102वीं रैंक हासिल की है।