ऋषिकेशस्वास्थ्य

Aiims: 4 घंटे में निकाली गई युवक के सीने से सरिया, मिली नई जिंदगी

सुयालबाड़ी में सड़क हादसे के दौरान सीने के आरपार हो गई थी सरिया

Aiims News : ऋषिकेश। सड़क हादसे के दौरान सीने के आर पार हुए 5 सूत के सरिया को निकाल कर एम्स के चिकित्सकों ने एक युवक को नई जिंदगी दी। चिकित्सकों ने करीब 4 घंटे की सर्जरी के बाद यह कामयाबी हासिल की। चिकित्सकों के अनुसार युवक अब खतरे से बाहर है।

घटना कुमाऊं क्षेत्र के अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर सुयालबाड़ी की पास की है। बताया जा रहा है कि एक सड़क हादसे के दौरान एक पिकप वाहन नीचे निर्माणाधीन पुलिया पर जा गिरा था। इसबीच पुलिया का 5 सूत का सरिया पिकप सवार 18 वर्षीय मोहित के सीने में आर पार हो गया। मोहित एक घंटे तक पुलिया के सरिए पर भी फंसा रहा। पुलिस ने रेस्क्यू के बाद युवक को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सुयालबाड़ी में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों युवक को हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल भेजा। जहां से उसे एम्स रेफर किया गया।

एम्स के मुख्य सर्जन डॉ. मधुर उनियाल ने बताया कि युवक को मध्य रात्रि में युवक को ट्रॉमा इमरजेंसी में लाया गया। सरिया युवक के सीने से आगे की ओर निकला था। घटना के वक्त से एम्स पहुंचने तक करीब 12 घंटे लग गए। डॉक्टरों के लिए यह चुनौतीपूर्ण था। बताया कि डॉक्टरों ने युवक की जिंदगी की खातिर हाई रिस्क लिया। करीब 4 घंटे के ऑपरेशन के बाद मोहित के सीने से सरिया बाहर निकाला गया। डॉ. उनियाल ने बताया कि टीम में उनके साथ डॉ. नीरज कुमार, डॉ. अग्निवा, ऐनेस्थेसिया टीम से डॉ. अजय कुमार, डॉ. मानसा शामिल थे।

यह बोले चिकित्सक
यदि किसी व्यक्ति के शरीर में कभी सरिया या नुकीले लोहे की रॉड अंदर तक घुस जाए तो बिना शल्य चिकित्सकों की मदद के स्वयं के स्तर से सरिया को शरीर से बाहर खींचने की कोशिश न करें। ऐसा करने से अत्यधिक रक्त स्राव हो सकता है और घायल का जीवन बचना मुश्किल हो जाता है।
• डॉ. मधुर उनियाल, ट्रॉमा सर्जन, एम्स

कुमाऊं से एम्स पहुंचने तक मोहित को लगभग 12 घंटे का समय लग गया। ऐसे में 12 घंटे तक घायल युवक को तिरछा लिटाकर रखा गया था। सर्जरी के लिए उसे बेहोश करना आसान नहीं था। सरिया फंसी होने के कारण मरीज को सीधा लिटाकर नहीं रख सकते थे। ऐसे में रिस्क लेते हुए डबल ल्यूमन ट्यूब डालकर उसे बेहोश करना पड़ा।
• डॉ. अजय कुमार, ऐनेस्थीसिया विभाग, एम्स

यह बोले मोहित के पिता
इस दुर्घटना के 2 दिन पहले ही मेरे पिता की मृत्यु हुई थी। ऐसे में बेटे मोहित की दुर्घटना की खबर मिलने से हम पूरी तरह टूट गए और मोहित के जीवन को लेकर हौसला हार चुके थे। लेकिन एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने मोहित को नया जीवन देकर हमारी उम्मीदों को रोशनी दी है। अब मेरा बेटा खतरे से बाहर है। एम्स के चिकित्सक हमारे लिए भगवान से कम नहीं हैं।
• किशन राम (मोहित के पिता)

एम्स की कार्यकारी निदेशक ने कहा
एम्स के ट्रॉमा विभाग में कुशल और अनुभवी शल्य चिकित्सकों की टीम उपलब्ध है। हाल ही में हुई कुमाऊं के युवक की सर्जरी के मामले में डॉ. मधुर उनियाल और डॉ. अजय कुमार के नेतृत्व में शामिल रहे टीम के सभी चिकित्सकों का कार्य प्रशंसनीय है। प्रत्येक मरीज और घायल का जीवन बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है।
• प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक

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