उत्तराखंडधर्म कर्म

अपने मूल स्थान में पुनर्स्थापित हुई मां धारी देवी

श्रीनगर गढ़वाल। देवभूमि की रक्षक मानी जाने वाली मां धारी देवी (Maa Dhari Devi) की प्रतिमा को शुभ मुहूर्त में नए मंदिर में पुनर्स्थापित कर दिया गया है। इस अवसर के लिए मंदिर को कई कुंतल फूला से सजाया गया था। मंदिर परिसर में सुबह से ही मां के जयकारे गुंजायमान रहे। मां भगवती के हजारों श्रद्धालु प्रतिमा की पुनर्स्थापना के साक्षी बनें।

24 जनवरी से आरंभ प्रक्रिया के तहत शनिवार के दिन मां धारी देवी, भैरवनाथ और नंदी की प्रतिमाओं को नवनिर्मित मंदिर परिसर में पुनर्स्थापित किया गया। 21 ब्राह्मणों द्वारा किए जा रहे महाअनुष्ठान के बीच 28 जनवरी की सुबह शुभ मुहूर्त में प्रतिमाओं को 9 साल बाद अस्थायी परिसर से नवनिर्मित मंदिर में लाया गया। इसके बाद सुबह 9:30 बजे के मां धारी देवी मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए।

नौ साल बाद मां धारी देवी, भैरवनाथ और नंदी के अपने मूल स्थान पर स्थापित होने के दौरान भक्तों में जबरदस्त उत्साह था। बता दें कि 16 जून 2013 की केदारनाथ आपदा के कारण अलकनंदा का जलस्तर बढ़ने पर धारी देवी मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं को अपलिफ्ट कर दिया गया था।

मां भगवती धारी देवी को देवभूमि उत्तराखंड और चारों धामों की रक्षक अधिष्ठात्री माना जाता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मां धारी देवी के अपने मूल स्थान में विराजित होने पर मां की कृपादृष्टि, उत्तराखंड वासियों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना की है।

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